गौतमबुद्धनगर में स्वरोजगार और शिक्षा योजनाओं के फलीभूत होने से बढ़ते हुए भारत के बचपन की तस्वीरें देखिए
संजय भाटी/ मधु चमारी/ राजा मौर्या
नोएडा। हमारी केंद्र और प्रदेश सरकार शिक्षा और स्वरोजगार योजनाओं के बड़े बड़े दावे करती रहती है। अमूमन टीवी चैनलों और बड़े अखबारों में भी ऐसे दावे रोज छपते रहे हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में देश और प्रदेश बदल रहे हैं। इसमें कोई संदेह नही। छोटे-छोटे बच्चे भी Paytam, Payphone और नेट बैंकिंग का बार कोड प्रयोग कर रहे हैं।
ये बच्चे कर क्या रहे हैं ? यह बताने की जहमत उठाने से ओजस्वी प्रधानमंत्री और हिन्दू हृदय सम्राट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भक्त नाराज हो जाते हैं।
क्योंकि पत्रकारों को केवल केजरीवाल, हेमंत सोरेन, भगवंत मान, ममता बनर्जी, अशोक गहलोत व अन्य विपक्षी दलों के नेताओं की आलोचनाओं पर ही सम्मानित किया जाता है।
निचे दी गई तस्वीर में नोएडा में बच्चे के द्वारा गांजे की बिक्री की जा रही है। यहां हमारा उद्देश्य गांजा तस्करों पर अंकुश लगाने से कुछ आगे बढ़ते हुए। तस्करी से जुड़े बच्चे की शिक्षा और उसके बचपन को सुरक्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और सरकारी मशीनरी के साथ-साथ उन तमाम स्वयं सेवी संस्थाओं का इस तरह के मामलों पर ध्यान आकर्षित करना है। जो आए दिन अखबारों के माध्यम से अपनी समाजसेवा के बड़े बड़े दावे ठोकते हुए सुर्खियों में बने रहने के लिए कोई कसर नही छोड़ते।
हम यहां आपको उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले जिले गौतम बुध नगर के नोएडा की कुछ तस्वीरें दिखा रहे हैं। जिससे सरकार की अखबारों के पन्नों पर बिखरी पड़ी सरकारी योजनाओं की वास्तविकता देखने को मिलती है।
आप तस्वीर में एक छोटे बच्चे को अपने दूसरे भाई/बहन को गोद में लेकर फूल बेचते देख रहे हैं। गौतमबुद्धनगर जिले के औद्योगिक क्षेत्र सूरजपुर साईट बी और सी के सामने पड़ने वाले गांव देवला के मुख्य मार्ग ( नोएडा से दादरी जाने वाले मैन रोड ) की है।
यह तस्वीर कुलेसरा की है। जहां एक छोटा बच्चा बीड़ी सिगरेट तंबाकू और गुटखा बेच रहा है। कानून की बात करें तो इस नन्ही सी जान को जिन चीजों को वह बेच रहा है, शायद ही उसके बारे में जानकारी हो।
नोएडा की सड़कों पर ई-रिक्शा चला रहे बच्चे की यह तस्वीर वरिष्ठ पत्रकार निशांत शर्मा द्वारा अपने ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो से ली गई है। जिसमें उनके द्वारा यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा पर सवाल उठाया है।
पत्रकारिता से जुड़े साथियों से आग्रह और एक सवाल
क्या हम इन बच्चों की जाति और धर्म देखेंगे ? सरकार की अनेकों योजनाएं चला रही हैं, वे असली हकदारों तक क्यों नही पहुंच रही हैं ? हम ऐसे मामलों पर ध्यान देंगे या फिर पत्रकारिता के लिए सरकार से मिलने वाली सुविधाओं और विज्ञापनों के लिए सरकारी भांड बनकर कसिदे पढ़ेंगे ?
पत्रकारिता से जुड़े साथियों से आग्रह है कि सरकारी “मान्यता प्राप्त” पत्रकार बनने और सरकारी सुविधाओं की प्राप्ति की अंधी दौड़ / हवस के चलते पत्रकारिता और पत्रकार शब्द को इतना कलंकित मत होने दो कि पत्रकारिता और पत्रकार शब्द समाज में एक गाली बन जाए।
हजार, पांच सौ रुपए के लाभ के लिए भूमाफियाओं और अपराध में शामिल लोगों को वरिष्ठ नेता और समाज सेवी बन कर स्थापित मत करो। समाज में बहुत से अच्छे लोग भी हैं, पत्रकार साथियों को अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए अच्छे चरित्र व विचारों वाले लोगों से चर्चा करनी चाहिए। कम से कम अपराध से जुड़े लोगों से आर्थिक लाभ लेकर उन्हें वरिष्ठ समाजसेवी, वरिष्ठ नेता आदि नामों से स्थापित नही करना चाहिए।
क्योंकि समाज में से जो लोग अपराधियों के विरुद्ध आवाज उठाते हैं, आपकी वजह से उनका संघर्ष बढ़ जाता है।
~ संजय भाटी (धर्म निरपेक्षता वादी)