शराब की ओवर रेटिंग के उपभोक्ता जागरुकता अभियान को रोकने के लिए पत्रकारों द्वारा लगाया जा रहा है दम
ब्यूरो रिपोर्ट
“संजय भाटी जी, आप पत्रकारों के साथ फोटो खींचवाने से बचकर रहें, ये आपके चेहरे को बेच कर खा जाएंगे, गलत लोगों से दूरी बना लें, ये कभी भी आपको सपोर्ट नही कर सकते, अपनी टीम में अच्छे लोगों का चयन करें, आपका अभियान सफल होगा ~ प्रेम प्रकाश (मुम्बई)
गौतमबुद्धनगर। जिले में नए आबकारी अधिकारी श्री सुबोध कुमार के आगमन के साथ ही शराब के उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए जिले भर में संजय भाटी निवासी सेवा सदन देवला, सूरजपुर ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्धनगर के द्वारा आबकारी विभाग के साथ मिलकर अभियान चलाए जाने की घोषणा कर दी गई।
सरकारी ठेकों से निर्धारित मूल्य पर शराब खरीदने व अवैध शराब तथा अन्य प्रदेशों के लिए अनुमान्य शराब न खरीदने के आव्हान के साथ-साथ ही सेल्समैनों द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक मांगें जाने पर उपभोक्ताओं को विभाग के अधिकारियों के नंबरों पर शिकायत दर्ज कराने के लिए जिला आबकारी अधिकारी व क्षेत्र वार इंचार्ज इंस्पेक्टरों के नम्बर लिख कर संजय भाटी द्वारा पोस्टर, स्टिकर, बैनर, पर्चे बांटने, हैंडसेट वाले लाउडस्पीकरों से से सीधे शराब के उपभोक्ताओं तक के अलावा दीवारों पर लिखवाने की जिम्मेदारी उठाई जा रही है।
सरकारी शराब को निर्धारित मूल्य से अधिक पर बेचे जाने पर सेल्समैनों और ठेका मालिकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। जिसका लाभ उठा कर वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े अनेकों लोग इस धंधे को संरक्षण देकर अवैध रूप से लाखों रुपए महीने काम रहे थे। फिलहाल ऐसे लोगों में खलबली मची हुई है।
संजय भाटी के इस अभियान से शराब के खरीदारों में बहुत जोश देखने को मिला रहा है। जिसके चलते जहां अवैध धन कमाने वाले पत्रकारों और सेल्समैनों के चेहरों से हवा उड़ हुई हैं। पुलिस विभाग संजय भाटी को पूरे मन से इस अभियान को सफल बनाने के लिए सुरक्षा देने को तैयार है। क्योंकि सेल्समैनों के द्वारा आए दिन शराब की ओवर रेटिंग के लिए समाज के गणमान्य लोगों तक से मुंह भाषा होना आम बात है।
सेल्समैनों द्वारा बहार से आकर नोएडा में काम करने वाले प्रवासी गरीब मजदूर वर्ग के शराब उपभोक्ताओं के साथ तो ओवर रेटिंग का विरोध करने पर मारपीट तक कर दी जाती है।
संजय भाटी की गौतमबुद्धनगर जिले और आस-पास को जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जबरदस्त पकड़ है। वैसे भी संजय भाटी का परिवार वकालत के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। संजय भाटी को अपने परिवार के वकालत के व्यवसाय से जुड़े होने का लाभ हमेशा मिलता है। आपको बता दें कि संजय भाटी के परिवार में दर्जनों अधिवक्ता हैं।
खुद संजय भाटी भी कानूनों पर जबरदस्त पकड़ रखते हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि संजय भाटी देश भर के हिंदी भाषी पत्रकारों में एक इंकलाबी चेहरा होने के चलते वर्तमान के बागी पत्रकारों का एक चेहरा है। जिसमें सभी बगावती तेवरों वाले पत्रकारों को अपना चेहरा दिखा देता है। जिसके चलते इस मिशन को रोक पाना संभव नही होगा।
संजय भाटी के इस जागरूकता अभियान को सफल होने से कोई भी नही रोक पाना मुश्किल होगा। क्योंकि समाज में शराब ठेकों के सेल्समैनों की बदतमीजियों और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए पत्रकारों और आबकारी विभाग के इंस्पेक्टरों और उच्च अधिकारियों के प्रति भी जन आक्रोश मौजूद है। कई इंस्पेक्टरों के भ्रष्टाचार के चर्चे पूर्व के जिलों की पोस्टिंग से लेकर वर्तमान तक चलते आ रहे हैं। यही बड़े कारण है जिसके चलते संजय भाटी को जन साधारण का भरपूर सहयोग मिलेगा।
अंत में बता दें कि यह जागरूकता अभियान अपने लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगा। संजय भाटी को पत्रकारिता से जुड़े लोगों से दूर रहने की जरूरत है। क्योंकि जिले के पत्रकारों द्वारा पहले दिन से ही इस अभियान को रोकने के भरपूर प्रयास किया जा रहा है। ध्यान रहे कि इस अभियान को तोड़ने के लिए साथ मिलकर ही विश्वासघात किया जाएगा।
संजय भाटी ने बताया कि यह जागरूकता अभियान केवल आबकारी विभाग और सरकारी शराब की दुकानों पर चल रही ओवर रेटिंग बिक्री तक ही सीमित नही रहेगा। यह अभियान दूसरे विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर भी चलाया जाएगा ये तो शुरुआत है। आप सभी को अजीब लग रहा होगा कि हमारे द्वारा शराब जैसी चीजों को लेकर अभियान क्यों चलाया जा रहा है? एक तो आप समझ सकते हैं कि हमारी सरकार को सर्वाधिक राजस्व आबकारी विभाग से ही मिलता है। जिससे तमाम सरकारी मशीनरी और विकास कार्यों को चलाया जाता है। इसलिए हम जो भी कर रहे हैं वह आधुनिक युग में समाज सेवा के साथ सरकार का सहयोग और कानूनी दायरे की चीजें हैं।
दूसरे इस मिशन को चलने से भ्रष्टाचारियों को सबसे अधिक आघात लगेगा इसलिए भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के साथ जुड़े पत्रकारों की कमर तोड़ने के लिए सबसे पहले उनकी आमदनी को तोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। वैसे भी यह कोई नई बात नही है। हम पहले से ही ऐसे अभियान चलाते रहते हैं।